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भोजराज (मालवाधीश परमार राजा भोज प्रथम)...

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Description

धाराधीश राजा भोज भारतीय ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, संस्कृति और इतिहास के मानदण्ड हैं। उन्होंने तलवार के क्षेत्र में कभी समझौता नहीं किया, पर लेखनी के क्षेत्र में सदा समन्वय का मार्ग स्वीकार किया। अपने 55 वर्ष 7 मास 3 दिन के शासन काल में वे वीरता और विद्वत्ता के प्रमाण बन गये। साहित्य, ज्योतिष, आयुर्वेद, कोश, व्याकरण, राजनीति, धर्मशास्त्र, शिल्प, दर्शन, विज्ञान, रसायन आदि अपने युग के प्राय: सभी ज्ञात विषयों पर भोज ने साधिकार जो अनेक ग्रन्थ रचे उनमें से 80 से अधिक के नाम ज्ञात हैं। इनमें से प्राय: आधे ग्रन्थ सुलभ भी हैं। उनमें से उनकी कतिपय पुस्तकें ही प्रकाशित और उनमें से भी बहुत कम सुलभ हैं। राजा भोज के ताम्रपत्र, शिलालेख, भवन, मन्दिर, मूर्तियाँ आदि पुरा प्रमाण प्राप्त होते हैं। भारतीय परमपरा में विक्रमादित्य के बाद राजा भोज का ही सर्वाधिक स्मरण किया जाता है। राजा भोज न केवल स्वयं विद्वान अपितु विद्वानों के आश्रयदाता भी थे। इतिहास-पुरुष होने पर भी वे अपनी अपार लोकप्रियता के कारण मिथक पुरुष हो गये। भारतीय परमपरा के ऐसे शलाका पुरुष का प्रामाणिक परिचय इस भोजराज ग्रन्थ में संक्षेप में दिया जा रहा है। हिन्दी में यह पहली पुस्तक है जिसमें साहित्य और संस्कृति के प्रकाश स्त?भ राजा भोज को पूरी तरह से पहचानने की कोशिश की गयी है। वाग्देवी के आराधक तथा असि और मसि के धनी भोज को समझने के लिए यह ग्रन्थ सबके लिए उपयोगी सिद्ध होगा।



Author: Dr. Bhagwatilal Rajpurohit
Publisher: Dr. Bhagwatilal Rajpurohit
ISBN-13: 9.78817E+12
Language: Hindi
Binding: Hardbound
No. Of Pages: 76
Country of Origin: India

Additional information

Weight 0.296 kg

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