Description
शिक्षा के सामाजिक एवं दार्शनिक आधारÓ के अन्तर्गत शिक्षा, शिक्षण ïएवं शिक्षा-व्यवस्थाओं के आधारभूत दार्शनिक एवं सामाजिक परिप्रेक्ष्य को उजागर करने का अभिनव प्रयास किया गया है। पुस्तक में भारतीय एवं पाश्चात्य दर्शन का परिचयात्मक एवं समीक्षात्मक विवरण प्रस्तुत करने के साथ उनके निहितार्थों को 21वीं सदी के उभरते वैश्विक सन्दर्भों में स्पष्ट किया गया है। सम्पूर्ण प्रस्तुति सरल, बोधगम्य एवं अभिव्यंजक शैली में अनुस्यूत है। इसके तहत कुल ग्यारह अध्याय हैं जिनमें शिक्षा एवं दर्शन के सम्प्रत्ययों का परस्पर सम्बन्ध, तत्त्वमीमांसात्मक, ज्ञानमीमांसात्मक एïवं मूल्य मीमांसात्मक दृष्टि से विविध दार्शनिक भूमियों-भारतीय एवं पाश्चात्य का अन्वेषण, शिक्षा के उद्देश्यों, स्वरूपों, अविद्यालयीयकृत समाज की संकल्पना, शिक्षा के समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य में विविध सामाजिक मुद्दों का विश्लेषण, धार्मिक नैतिकतावाद, राष्ट्रीय एकता एवं अन्तर्राष्ट्रीय ïअवबोध के सम्बन्ध में मूल्यपरक शिक्षा की महत्ता एवं प्रसंगौचित्य, भारतीय सन्दर्भ में शैक्षिक अवसरों की समानता एवं उसके अवरोधक तथा शिक्षा-दर्शन एवं शिक्षा के समाज-शास्त्र से जुड़े शोध मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। जिससे शिक्षाशास्त्रों से जुड़े विद्यार्थी एवं शिक्षकगण अपनी अन्र्तदृष्टिï में अपेक्षित सूक्ष्मता ला सकें।
Author: K.P.Pandey
Publisher: K.P.Pandey
ISBN-13: 9.78817E+12
Language: English
Binding: Paper Back
No. Of Pages: 327
Country of Origin: Hindi
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