DISCOUNT 20%

Pratinidhi Kahaniyan : Muktibodh (Hindi) (9788126724147) Rajkamal Prakashan

60.00

(20% OFF)

Add Rs.45/- for PAN India delivery
Free delivery of orders above Rs. 499/- by Registered Post

Out of stock

SKU: Rajkamal-22-H-71 Categories: , ,

outofstock Guaranteed Service International Shipping Free Home Delivery

Description

मुक्तिबोध यानी वैचारिकता, दार्शनिकता और रोमानी आदर्शवाद के साथ जीवन के जटिल, ग्रह. गहन, संश्लिष्ट रहस्यों की बेतरह उलझी महीन परतों की सतत जाँच करती हठपूर्ण, अपराजेय, संकल्प-दृढ़ता! नून-तेल-लकड़ी की दुश्चिन्ताओं में घिरकर अपनी उदात्त मनुष्यता से गिरते व्यक्ति की पीड़ा और बेबसी, सीमा और संकीर्णता को मुक्तिबोध ने पोर-पोर में महसूसा है । लेकिन अपराजेय जिजीविषा और जीवन का उच्‍छल-उद्‌दाम प्रवाह क्या ‘ मनुष्य ‘ को तिनके की तरह बहा ले जानेवाली हर ताकत का विरोध नहीं करता? जिजीविषा प्रतिरोध, संघर्ष, दृढ़ता, आस्था और सृजनशीलता बनकर क्या मनुष्य को अपने भीतर के विराटत्व से परिचित नहीं कराती? मुक्तिबोध की कहानियाँ अखंड उदात्त आस्था के साथ आम आदमी को उसके भीतर छिपे इस सष्टा महामानव तकले जाती हैं । अजीब अन्तर्विरोध है कि मुक्तिबोध की कहानियाँ एक साथ ‘ विचार कहानियाँ, हैं और आत्मकथात्मक भी । मुक्तिबोध की कहानियाँ प्रश्न उठाती हैं-नुकीले और चुभते सवाल कि ‘ ठाठ से रहने के चक्कर से बँधे हुए बुराई के चक्कर ‘ तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर कितना प्रयत्नशील है व्यक्ति? मुक्तिबोध की जिजीविषा-जड़ी कहानियाँ आत्माभिमान को बनाए रखनेवाले आत्मविश्वास और आत्मबल को जिलाए रखने का सन्देश देती हैं-भीतर के ‘ मनुष्य, से साक्षात्कार करने के अनिवर्चनीय सुख से सराबोर करने के उपरान्त ।



Author: Rohini Agrawal
Publisher: Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd.
ISBN-13: 9788126724147
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
Country of Origin: India
International Shipping: No

Additional information

Weight 0.232 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Pratinidhi Kahaniyan : Muktibodh (Hindi) (9788126724147) Rajkamal Prakashan”

Your email address will not be published. Required fields are marked *