Description
सुपरिचित कथाकार उर्मिला शिरीष का यह उपन्यास अपने संवाद दृश्यों, कथा स्थितियों और भाषिक प्रवाह के कारण एक बेहद पठनीय कृति के रूप में प्रस्तुत है । कथा के इस प्रवाह में व्यक्ति की स्वतंत्रता परिवार की परिधि के बाहर खोजते हुए रचनाकार उस यथार्थ से टकराती हैं जो आज के नए समय में आकार ले रहा है । यहां नए सिरे से परिभाषित हो रहे रिश्तों के बीच एक बाहरी व्यक्ति की गम्भीर उपस्थिति से उपजा तनाव कथा को एक विशेष गति देता है । उपन्यास के पात्र यहां अपनी निजता को किसी के सम्मुख बंधक नहीं रखना चाहते । वह अपने मनमाफिक जीना और काम करना चाहते हैं, निर्भीक रहकर । पीढ़ियों के बीच वाद–विवाद और संवाद इस कथा को एक जीवन्त बहस में बदलते हैं, तो एक ऐसे सम्बन्ध की छवि भी मिलती है जिसका आधार है इंसानियत । उपन्यास यह सच बड़ी बारीकी से खोलता है कि एक व्यक्ति के लिए जो जीवन का असल यथार्थ होता है, वही दूसरे के लिए कैसे भ्रम में तब्दील हो जाता है ? स्त्री इच्छा और स्वातंत्र्य को दो पीढ़ियों के बीच उकेरती इस उपन्यास की कथा स्त्री मन से देह तक का सफर बड़े करीने से तय करती है । प्रश्न उठाती है कि देह के सम्बन्धों से कैसे बड़े होते हैं आत्मा के रिश्ते । एकाकी जीवन से कैसे अधिक अर्थपूर्ण होती है सामूहिकता की भावना! अपने आपसे लड़ते और दुनिया के सामने न झुकने का संकल्प कैसे व्यक्तित्व को बदलकर रख देता है । स्मृतियों में जगह बना लेने वाली एक अनूठी कृति है ‘चाँद गवाह’ ।
Author: Urmila Shirish
Publisher: Samayik Prakashan
ISBN-13: 9789393232366
Language: Hindi
Binding: Hardback
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 128
Country of Origin: India
International Shipping: No
Reviews
There are no reviews yet.