Description
पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ असाधारण रचनाकार और सृजक थे। सारा हिंदी जगत् एक अरसे तक ‘उग्र’ की उग्रता से काँपता रहा, उनसे लोहा लेने में डरता रहा; मगर ‘उग्र’ जी का बाह्य व्यक्तित्व देख हिंदी जगत् ने उन्हें जीते जी उपेक्षा के गर्त में और विरोध की खाइयों में ढकेल दिया। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी व विडंबना थी। उनके अंतरंग कोमल पक्ष को, जो नारियल की तरह बाहर से कठोर और अंदर से मृदु व कोमल था, कोई नहीं जान पाया। ‘उग्र’ के संपूर्ण व्यक्तित्व पर विगत 44 वर्षों से अनथक अनवरत परिश्रम करते हुए उनके कृतित्व के अनछुए पहलुओं पर कार्य किया है। अब तक ‘उग्र’ पर, उनके साहित्य पर मेरी 24 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनका हिंदी जगत् ने सम्यक् स्वागत किया है। हाँ, समीक्षकों से अवश्य हमेशा की तरह जैसा ‘उग्र’ के साथ हुआ, ‘उग्र’ के साहित्य को भी उपेक्षा और अवमूल्यन मिला है। खैर— मेरे लबों पे दुआ उसके लबों पे गाली, जिसके अंदर जो था वही तो बाहर निकला। इस क्रम में निवेदित है ‘उग्र’ की कलम से निःसृत मार्मिक और हृदयस्पर्शी लोकप्रिय कहानियों का संग्रह।
Author: Shri Rajshekhar Vyas
Publisher: Prabhat Publication
ISBN-13: 9789390900503
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 174
Country of Origin: India
International Shipping: No
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