Description
गीतांजलि श्री के इस उपन्यास का मूल तर्क वह हिंसा है जो हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा बन गई है। बम इसका केन्द्रीय रूपक है जो ज़िन्दगियों के परखचे उड़ा देता है, एकदम अनपेक्षित तरीकों से। दिनचर्याएँ नष्ट हो जाती हैं, स्मृतियाँ टूट जाती हैं या अधूरी छूट जाती हैं, उन्हें वर्तमान तक लाने का साधन शेष नहीं रहता और भविष्य में ले जाने की तो आशा भी नहीं।
एक अनाम शहर के अनाम विश्वविद्यालय के सुरक्षित समझे जाने वाले कैफ़े में फट पड़े बम से टुकड़े-टुकड़े बिखर गए उन्नीस लोगों की शिनाख़्त से शुरू होती है ‘ख़ाली जगह’ की दास्तान। उन्नीसवीं पहचान करती है एक माँ अपने राख हुए अठारह साल के बेटे की। और यही माँ ले आती है बेटे की चिन्दियों के साथ एक तीन साल के बच्चे को, जो सलामत बच गया है, न जाने कैसे, ज़रा-सी ख़ाली जगह में, उसी कैफ़े में। आख़ीर तक चलता है फिर पहचान का सिलसिला, दो बेटों की गड्ड-मड्ड हुई, आधी-अधूरी ज़िन्दगियों में।
Author: Geetanjali Shree
Publisher: Rajkamal Prakashan
ISBN-13: 9788126718573
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 244
Country of Origin: India
International Shipping: No
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