Description
मीरां के पदों के कई संकलन हैं, उसके पद धार्मिक गुटकों में हैं और उसके पद-भजनों के कई प्रसिद्ध गायकों के ओडियो-वीडियो हैं। बावजूद इसके मीरां के पदों के इस संकलन की ज़रूरत है, क्योंकि मीरां की रचनाओं में जो ‘अलग’ और ‘ख़ास’ है, वो अक्सर इनमें छूट गया है। ये संकलन-गुटके और ओडियो-वीडियो किसी ख़ास आग्रह और ज़रूरत के तहत बने हैं, इसलिए इनमें मीरां की कविता के सभी रंग और छवियाँ शामिल नहीं हैं। मीरां की कविता इस तरह की नहीं है कि इसको किसी आग्रह या विश्वास तक सीमित किया जा सकता हो। उसमें वह सब वैविध्य है, जो जीवन में आकंठ डूबे-रंगे मनुष्य के सरोकारों में होता है। यहाँ ‘मूल’ और ‘प्रामाणिक’ का आग्रह नही है। यह नहीं होने से औपनिवेशक शिक्षा और संस्कारवाले विद्वानों को आपत्ति होगी, लेकिन यहाँ आग्रह उन सभी रचनाओं को सम्मान देने का है, जो सदियों तक लोक की स्मृति में जीवंत बनी रहीं। भारतीय जनसाधारण का स्वभाव है कि वह इस तरह की रचनाओं को ही जीता-बरतता है। उसके व्यवहार कथित ‘मूल ’का आग्रह नहीं है। यहाँ संकलित पद इसीलिए उन उपलब्ध सभी स्रोतों से भी लिए गए हैं, जो स्मृति पर निर्भर हैं। उनमें से भी ऐसे पदों को प्राथमिकता दी गई है, जिनमें मीरां की घटना संकुल जीवन यात्रा, मनुष्य अनुभव, जीवन संघर्ष और ख़ास भक्ति के संकेत मौजूद हैं। यह धारणा कुछ हद सही सही है कि मीरां की कविता में लोक की जोड़-बाकी बहुत है, लेकिन इस आधार पर ये रचनाएँ अप्रामाणिक नहीं हो जातीं, जैसा कि कुछ ‘आधुनिक’ विद्वान मनते हैं। मीरां की अपनी कविता स्मृति में लोक की निरंतर जोड़-बाकी के बावजूद बहुत कुछ बची रही है।
Author: Madhav Hada
Publisher: Sasta Sahitiya Mandal
ISBN-13: 9789390872909
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2021
No. Of Pages: 158
Country of Origin: India
International Shipping: Yes
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