Description
किताब के बारे में ‘वाया नई सदी’ दस्तावेज़ है समय की असहजताओं और अस्वाभाविकताओं का जिन्हें हमने जीवन की स्वाभाविक मुद्राओं की तरह स्वीकार कर लिया है। ये कविताएँ इस स्वीकृति के विरुद्ध उठी मुट्ठियों की तरह हैं। यह समय जहाँ बोलने, चीखने और विरोध करने पर लगातार कठोर होती पाबन्दियाँ हमारी चुप्पियों पर हँसने लगी हैं, और हम प्यार को, जनतन्त्र को, मानवीयता को धीरे-धीरे छीजते देख रहे हैं, और ख़ामोश हैं। ‘हमारे समय के करुण इतिहास पर/हिंसा की तरह दर्ज अभिलाषाओं में/महामौन की तरह खड़ी है एक गाय/जो अभी-अभी खूँटे पर आई है/लहूलुहान’—‘गाय’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ भारत की नयी सदी की उस महाविडम्बना की ओर संकेत करती है जहाँ करुणा में रसे-बसे सांस्कृतिक प्रतीकों को हिंसक बिम्बों में बदलने की कोशिश बाक़ायदा सत्ता के इशारों पर हो रही है और समाज, जैसे कि उसे इसी का इंतज़ार था, इस प्रक्रिया को पूरा करने में जुटा हुआ है : ‘उनमें ग़ज़ब की सामूहिक सहमति है’, और ‘एक सीधी सरल गाय/हिंसक पशु में बदल जाती है।’
लेखक के बारे में श्रीप्रकाश शुक्ल श्रीप्रकाश शुक्ल का जन्म 18 मई, 1965 को सोनभद्र, उत्तर प्रदेश के बरवाँ गाँव में हुआ। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी) की डिग्री ली। पी-एच.डी. भी वहीं से किया। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—अपनी तरह के लोग, जहाँ सब शहर नहीं होता, बोली बात, रेत में आकृतियाँ, ओरहन और अन्य कविताएँ, कवि ने कहा, क्षीरसागर में नींद (कविता-संग्रह); साठोत्तरी हिन्दी कविता में लोक सौन्दर्य, नामवर की धरती, हजारीप्रसाद
Author: Shriprakash Shukla
Publisher: Radhakrishna Prakashan
ISBN-13: 9789391950019
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 144
Country of Origin: India
International Shipping: Yes
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