Description
महात्मा गांधी की ग्रामीण और आदिवासी समाज सहित भारत के गांवों के बारे में बहुत स्पष्ट धारणा थी। उनका जोर देकर कहना था कि भारत गाँवों में रहता है कस्बों में नहीं, झोपड़ियों में रहता है महलों में नहीं। उन्होंने यह कहते हुए इस विश्वास को कायम रखा कि यदि गांव नष्ट हो गए, तो भारत जल्द ही नष्ट हो जाएगा। उनका दृढ़ विश्वास था कि देश की प्रगति ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ग्रामोद्योग और ग्रामीण कौशल अधिकांशतः विकसित करना ग्रामीण गांवों के विकास में निहित है। उन्होंने यह भी वकालत की कि गांव आर्थिक कार्यक्रम में केंद्रीय स्थान रखता है।
गांधीजी ने आदिवासियों के कल्याण पर भी जोर दिया। गांधीजी की अवधरणा थी कि आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं। उन्हें कई पीढ़ियों से बाकी समुदाय से अलग कर दिया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि भारत के आदिवासी समुदायों के सर्वांगीण और समग्र विकास के लिए उन्नत समुदाय का कर्तव्य है कि वे अपना योगदान दें। उन्होंने रचनात्मक कार्यकर्ताओं को आदिवासियों के उत्थान के लिए कार्य करने का स्पष्ट निर्देश दिया। कई प्रतिष्ठित समाजशास्त्राी जैसे वेरियर एल्विन, निर्मल कुमार बोस, ठक्कर बप्पा और कई अन्य लोगों ने महात्मा गांधी के प्रभाव में अपनी मानवशास्त्राीय एवं समाजशास्त्राीय अवधारणा और यात्रा विकसित की एवं ग्रामीण विकास व आदिवासी कल्याण हेतु प्रयोग किया।
हाल ही में भारत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई है, पर आदिवासी और ग्रामीण विकास पर उनका दर्शन, विचार और दृष्टिकोण राष्ट्र निर्माण के लिए आज भी सार्थक है। उपरोक्त पृष्ठभूमि में वर्तमान खंड में आदिवासी और ग्रामीण समाज के इर्द-गिर्द केन्द्रित गांधीवादी विचारों और दर्शन और एक ओर जीवन और आजीविका के कई पहलुओं में विकास और दूसरी ओर चित्राकला, लोक परंपरा, गीत आदि पर आलेख शामिल हैं। इस खंड में कई विषयों और कार्यकर्ताओं के योगदानकर्ताओं ने एक ओर आदिवासी और ग्रामीण समाज और विकास पर गांधीवादी दृष्टिकोण को व्यक्त किया है, तो दूसरी ओर समकालीन भारतीय राष्ट्र निर्माण में गांधीवादी दर्शन की प्रासंगिकता को उजागर करने का भी प्रयास किया है।
Author: Tilak Bagchi, Shashank Kumar Pandey
Publisher: Rawat Publications
ISBN-13: 9788131612835
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 192
Country of Origin: India
International Shipping: No
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