Description
गुरुभाइयों में सम्मानपूर्वक ‘स्वामीजी’ संबोधन प्राप्त करनेवाले नरेंद्रनाथ दत्त ने ऊहापोह की स्थिति में मठ छोड़कर भारत-भ्रमण करने का मन बनाया। अपने गुरुभाइयों को भी स्पष्ट निर्देश दिया कि अपना झोला उठाकर भारत का मानचित्र अपने साथ लो और भारत-भ्रमण के लिए निकल पड़ो। भारत को जानना एवं भारतवासियों को भारत की पहचान करा देना, यही हमारा प्रथम कार्य है। स्वामीजी ने धीर-गंभीर होकर कहा कि योगी बनना चाहते हो तो पहले उपयोगी बनो, भारतमाता के दुःख व कष्ट को समझो। उसे दूर करने के लिए अपने आपको उपयोगी बनाओ, तभी तो योगी बन पाओगे।
आज की वर्तमान पीढ़ी भी वर्ष 2020 तक विश्व को नेतृत्व प्रदान करनेवाले भारत को अपने हाथों सँवारना चाहती है। भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन, गोरक्षा, गंगा की पवित्रता, कालेधन की वापसी, राममंदिर-रामसेतु आदि मानबिंदुओं के सम्मान की रक्षा के आंदोलन, आसन्न जल संकट, पर्यावरण, कानून, सीमा-सुरक्षा, सांप्रदायिक सौहार्द, संस्कार-युक्त शिक्षा, संस्कृति रक्षा, राष्ट्रवादी साहित्य, महिला गौरवीकरण आदि के लिए हो रही गतिविधियाँ भारत निर्माण की छटपटाहट का ही प्रकटीकरण हैं। इन सभी क्रियाकलापों को नेतृत्व प्रदान करनेवाले लोग कम या अधिक मात्रा में स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा पाकर उनके सपनों का भारत बनाने में लगे हैं।
स्वामी विवेकानन्द के सपनों के स्वावलंबी, स्वाभिमानी, शक्तिशाली, सांस्कृतिक, संगठित भारत के निर्माण को कृत संकल्प कृति।
Author: Bajrang Lal Gupta, Laxminarayan Bhala
Publisher: Prabhat Paperbacks
ISBN-13: 9789350483015
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 136
Country of Origin: India
International Shipping: No
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