Description
काव्य में मनुष्य की आत्मा बसती है। फिर गीतों और ग़ज़लों में भीतरी संवेदनाएँ शैली का शृंगार कर मन-मस्तिष्क में उतर जाती हैं कवि-गीतकार की संवेदनाएँ श्रोता एवं पाठक की ज़ुबान पर चढ़ जाती हैं और हर कोई इसे अपनी ही संवेदना समझने लगता है। एक तादात्म्य की यह स्थिति रचनाकार और पाठक को एक कर देती है। भावुकता की परिधि में एकाकार की यह स्थिति जीवन को गुनगुनाहट से भर देती है। प्रेम के उद्दाम शिखर पर बैठकर लिखी गयी रचनाएँ हर पीढ़ी को लुभाती रही हैं, फिर चाहे वह संयोग की बात हो या वियोग की। साथ ही व्यक्तिगत सुख-दुख से परे होकर अभिव्यक्ति जब सार्वजनिक हो जाती है तब वह केवल रचनाकार की नहीं रह जाती। समाज, समय और संस्कृति के मिथकों को लेकर रचनाएँ व्यापक हो उठती हैं, फिर प्रेम केवल एकान्तिक न होकर वह सार्वजनिक और सार्वकालिक बन जाता है। ऐसे कई-कई गीत रचे गये हैं, जिन्होंने हर पीढ़ी तक अपना संवेदना-सन्देश पहुँचाया है। विशेष रूप से असफलता और विसंगत क्षणों में रचना की आर्त्त भीतरी संवेदनाओं तक गूंजती रही है। फिर मौसम बदला है अनुभव, अनुभूति और अभिव्यक्ति की ग़ज़लों और गीतों से पूरित यह संवेदनाओं की लड़ियाँ साहित्य को भाव-विभोर और रस-विभोर कर देंगी। – सम्पादकीय से
Author: Damodar Khadse
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: Damodar Khadse
Language: Hindi
Binding: Hardbound
No. Of Pages: 240
Country of Origin: India
International Shipping: No
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