Description
समाज विज्ञानों, विशेषकर समाजशास्त्र, में सिद्धान्त निर्माण की गतिविधि बड़े संकटकाल से गुज़र रही है। स्वयं समाजशास्त्र के किसी ठीक-ठाक भविष्य के बारे में भी लोगों को संदेह होने लगा है। अभी तक दुर्खीइम, वेबर और मार्क्स जैसे बुनियादी विचारकों का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता था। परन्तु अब ऐसा नहीं है; उत्तर-आधुनिकवादी सिद्धान्तवेत्ता न केवल इनके बखिये उघाड़ रहे हैं, वरन् वे इनके महान् वृत्तान्तों को अस्वीकार भी करने लगे हैं।
विचारक अपने समय की समस्याओं को समझते हैं एवं सिद्धान्तों के माध्यम से इनका निदान खोजने का प्रयास करते हैं। यूरोप और अमेरिका आधुनिकता और उत्तर-आधुनिकता के दोराहे पर खड़े हैं। आधुनिक विचार उत्तर-आधुनिकता का खण्डन करते हैं और उत्तर-आधुनिक विचारक कहते हैं कि आधुनिकता के दिन लद गये। अब उत्तर-आधुनिकता आ गयी हैं। विचारकों का एक और खेमा है जो बराबर यह कह रहा है कि आज का समाज खतरे का समाज है, जिसमें अनिश्चितता ही अनिश्चितता है। प्रस्तुत पुस्तक आधुनिक विचारकों का आलोचनात्मक अध्ययन करती है। इसके माध्यम से हम आधुनिक समाज को समझने में सफल होंगे, ऐसा प्रयास है।
Author: S.L. Doshi
Publisher: Rawat Publication
ISBN-13: 9788131600771
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2019
No. Of Pages: 427
Country of Origin: India
International Shipping: No
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