Description
अपने अपने राम वस्तुतः एक विशाल षड्यंत्र कथा है जिसका ताना-बाना लेखक ने बड़ी बारीकी से बुना है। इसलिए अति-परिचित कथा में भी आदि से अन्त तक कुतूहल बना रहता है और बहुत कुछ ‘डिटेक्टिव’ का-सा मजा आता है। वसिष्ठ के जासूस हर जगह हैं। डॉ. नामवर सिंह उपन्यास की रोचकता, कथा-कौशल, संवादों की अर्थ गर्भी और वैचारिक तैयारी इसे एक बेहद पठनीय रचना बना देते हैं। श्रद्धा की खाइयों में लगभग व्यावसायिक, राजनैतिक, तिरस्कृत और अपठनीय बना कर डाल दी गई राम-कथा के इस ‘उद्धार’ के लिए भगवान सिंह को बधाई दी जानी चाहिए और दसियों बरसों बाद किसी रचनात्मक किताब के बहाने अपनी बात कहने के लिए नामवर जी को धन्यवाद।
Author: Bhagwan Singh
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789350726433
Language: Hindi
Binding: Paperback
No. Of Pages: 376
Country of Origin: India
International Shipping: No
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