Description
बहती गंगा’ अपने ढंग की अनूठी रचना है। यह अकेली रचना इसके लेखक शिवप्रसाद मिश्र ‘रुद्र’ काशिकेय को अक्षय कीर्ति दे गई है। भिन्न-भिन्न शीर्षकों से सत्रह अध्यायों में विभक्त यह कृति आख्यान और किंवदंतियों का एक अद्भुत मिश्रण वाला उपन्यास है। अलग-अलग अध्याय अपने आप में पूर्ण एक कथा होने के साथ-साथ किसी चरित्र के माध्यम से विकसित होकर परवर्ती अध्याय की कथा से जुड़ते दिखाई पड़ते हैं। परम्परागत अर्थों में किसी केन्द्रीय चरित्र या कथानक की जगह सारे चरित्र और सभी आख्यान बनारस की भावभूमि, उसके इतिहास, भूगोल, उसकी संस्कृति और उत्थान-पतन की महागाथा बनते हैं। अध्यायों के शीर्षक ही नहीं, भाषा, मानवीय व्यवहार और वातावरण का चित्रण बेहद सटीक और मार्मिक है। सबसे बड़ी बात यह है कि रचनाकार यथार्थ और आदर्श, दंतकथा और इतिहास मानव-मन की दुर्बलताओं और उदात्तताओं को इस तरह मिलाता है कि उससे जो तस्वीर बनती है वह एक पूरे समाज, की खरी और सच्ची कहानी कह डालती है।
Author: Shivprasad Mishra 'Rudra
Publisher: RADHAKRISHAN PRAKASHAN
ISBN-13: 9788171194780
Language: Hindi
Binding: Paper Back
No. Of Pages: 163
Country of Origin: India
International Shipping: No
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