Description
प्रस्तुत पुस्तक भारतीय समाजशास्त्रीय विचारकों पर एक बेबाक विश्लेषण है। मुख्य रूप से इस विवेचन का आधार विधि और वैज्ञानिक तेजस्विता है। लेखक का निष्कर्ष है कि पिछले वर्षों में समाजशास्त्रीय विचारकों ने जो समाजशास्त्र विकसित किया है, वह खण्डित है तथा उसमें धर्म-निरपेक्षता, एकाधिक संस्कृति, बहुधर्म और बहु-भाषा हाशिये पर है। संविधानसम्मत भारतीय समाज इन विचारकों के फोकस से बाहर है।
लेखक ने भारतीय समाज के महान विचारकों और चिंतकों को अपने इस अध्ययन में सम्मिलित किया है। ये विचारक जहाँ परम्परा और धार्मिक ग्रन्थों के प्रणेता हैं, वहीं वे आधुनिकीकरण, वैश्वीकरण और मार्क्सवादी विचारधारा के पोषक भी हैं। सभी का किसी न किसी अर्थ में भारतीय समाज से सरोकार है।
इस पुस्तक में भारतीय मूल के लेखकों के अतिरिक्त लूई ड्यूमा और डेविड हार्डिमैन जैसे विदेशी विचारकों को भी सम्मिलित किया है, जिन्होंने जीवनपर्यन्त भारतीय समाज पर लिखा है।
पुस्तक प्रतियोगी परीक्षार्थियों, अध्यापकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिये उपयोगी सिद्ध होगी।
Author: S.L. Doshi
Publisher: Rawat Publication
ISBN-13: 9788131602775
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2009
No. Of Pages: 228
Country of Origin: India
International Shipping: No
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