Description
सुपरिचित कथाकार अशोक गुजराती के इस उपन्यास में एक अजाने कथानक को साधने की साहसी कोशिश बहुत ही रोचक अन्दाज में की गई है । यह पुरातन उपन्यासों की तरह विवरणात्मकता की बोझिल तान से अलग कटु यथार्थ से सीधा सामना करते हुए एक अजानी दुनिया की खिड़की पाठकों के लिए खोल देता है । यह सब जिस सहजता में होता चला जाता है, उसमें कथाकार की जिज्ञासाभरी कहन का चमत्कार तो है ही, दृश्यात्मक चित्रांकन और प्रवाह भरी भाषा भी काबिले तारीफ है । ज़बान और कान से दिव्यांग कथा का पात्र कहां से कहां जा पहुंचता है, यह जानकारी ही नहीं, भिखारियों को बनाए रखने के लिए कैसे–कैसे गिरोह सक्रिय हैं, यह भी पता चलता है । कैसा है यह पूरा संजाल, जिससे निकल पाना आसान नहीं है । उपन्यास की कथा को सुखांत बनाकर रचनाकार ने यह विश्वास बरकरार रखने का प्रयास किया है कि अब भी बहुत कुछ शेष है । परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों, बेहतर जिन्दगी हर किसी का इन्तज़ार कर रही है ।
Author: Ashok Gujarati
Publisher: Kalyani Shiksha Parishad
ISBN-13: 9788188457984
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Product Edition: 2021
No. Of Pages: 192
Country of Origin: India
International Shipping: No
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