Description
दाराशुकोह – दाराशुकोह—एक ऐसा शहज़ादा जिसको पण्डितराज जगन्नाथ जैसे विद्वान से संस्कृत का ज्ञान प्राप्त हुआ, फ़ारसी के विद्वान मुल्ला अब्दुल लतीफ़ सुलतानपुरी से क़ुरआन एवं फ़ारसी काव्य-ग्रन्थों के साथ-साथ इतिहास की शिक्षा मिली तथा सूफ़ी सन्त सरमद, मुल्लाशाह बदख़्शी, शेख़ मुहीबुल्ला इलाहाबादी, शाह दिलरुबा और शेख़ मुहसिन फ़ानी जिनके आध्यात्मिक और दार्शनिक मार्गदर्शक रहे—ऐसे युगपुरुष के जीवन का अबतक बहुत कुछ अनछुआ ही रहा। इस कमी को उपन्यासकार मेवाराम ने इस बृहद् उपन्यास में समकालीन सन्दर्भों में उद्घाटित किया है। दाराशुकोह अपनों के ही छद्म का शिकार हुआ और दुखद अवसान के बावजूद धर्मों की मूल्यबोधी दृष्टि से सदैव सम्पन्न रहा। हालाँकि इस दृष्टि को समय का धुआँ आच्छादित करता रहा लेकिन उपन्यासकार ने इस धुन्ध को छाँटने का निरन्तर प्रयत्न किया है और हमें शहज़ादा दाराशुकोह का चेहरा साफ़ दिखायी देने लगता है। प्रस्तुत उपन्यास ‘दाराशुकोह’ एक तरफ़ ऐतिहासिक उपन्यासों में अपेक्षित अध्ययन एवं शोध की कठिन कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरा है तो दूसरी तरफ़ इसकी मौलिकता का सबसे बड़ा प्रमाण इसकी सुसम्बद्धता और रोचक शैली है। उपन्यास की मूल शक्ति उसका संवाद और वातावरण है। भाषा इसकी पहली शर्त है। लेखक ने काल और कथा के अनुरूप जो भाषा विकसित की है, इस उपन्यास की उपलब्धि है। यह उपन्यास इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि वर्तमान सन्दर्भों में धर्म पर जिस तरह का कठमुल्लापन हावी है और जिसके प्रतिकार की प्रश्नाकुलता जनमानस में देखी जा रही है, इस उपन्यास में उसका हल तलाश करने की भरपूर कोशिश है। इस महत्त्वपूर्ण कृति को पाठकों को समर्पित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ गौरव का अनुभव करता है।
Author: Mevaram
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9788196102760
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 868
Country of Origin: India
International Shipping: No
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