Description
मुंशी प्रेमचंद वर्ग विशेष के नहीं, जन-सामान्य के लेखक थे। सामाजिक समस्याओं को उजागर करना उनके औपन्यासिक लेखन का मुख्य ध्येय रहा। गबन का मूल विषय है महिलाओं का पति के जीवन पर प्रभाव।
‘ग़बन’ की नायिका, जालपा, एक चन्द्रहार पाने के लिए लालायित है। उसका पति कम वेतन पाने वाला क्लर्क है यद्यपि वह अपनी पत्नी के सामने बहुत अमीर होने का अभिनय करता है। अपनी पत्नी को संतुष्ट करने के लिए वह अपने दफ्रतर से ग़बन करता है और भागकर कलकत्ता चला जाता है जहां एक कुंजड़ा और उसकी पत्नी उसे शरण देते हैं। डकैती के एक जाली मामले में पुलिस उसे पंफसाकर मुखबिर की भूमिका में प्रस्तुत करती है।
उसकी पत्नी परिताप से भरी कलकत्ता आती है और उसे जाल से निकालने में सहायक होती है। इसी बीच पुलिस की तानाशाही के विरू( एक बड़ी जन-जागृति शुरू होती है। इस उपन्यास में विराट जन-आन्दोलनों के स्पर्श का अनुभव पाठक को होता है। लघु घटनाओं से आरंभ होकर राष्ट्रीय जीवन में बड़े-बड़े तूपफान उठ खड़े होते हैं। एक क्षुद्र वृत्ति की लोभी स्त्राी से राष्ट्र-नायिका में जालपा की परिणति प्रेमचंद की कलम की कलात्मकता की पराकाष्ठा है
Author: Munshi Premchand
Publisher: Diamond Pocket Books (Pvt.) Ltd.
ISBN-13: 9798171822507
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 272
Country of Origin: India
International Shipping: No
Reviews
There are no reviews yet.