Description
Na Yah Zindagi Jeetne De Rahi Hai Aur Na Main Harne Ko Taiyar Hoon. . ./न यह ज़िन्दगी जीतने दे रही है और न ही मैं हारने को तैयार हूँ. . .
Bhagwant Anmol/भगवंत अनमोल
मैं राघव, एक होनहार युवक जो सपने भी देखता है और उन्हें पूरा करने की चाहत भी रखता है। जिसे कच्ची उमर से ही एक साथी की तमन्ना है जिसके साथ दुनियाभर की ख़ुशियाँ अपने दामन में समेट ले, लेकिन . . . यही नहीं कर पाता मैं।
ऐसा नहीं था कि मैं बिलकुल नहीं बोल पाता। पर हकलाहट ऐसा मर्ज़, जो भोगे वो ही समझे। जहाँ पर जज न किया जाए, वहाँ पर तो ठीक बोल लेते, लेकिन जहाँ कोई ज़रूरी बात हो, नया व्यक्ति हो, या फिर जज किया जा रहा हो, वहाँ ऐसी मानसिकता बन जाती कि आवाज़ निकलती ही नहीं, जीभ जैसे चिपक जाए। दाँत किटकिटाने लगें, शरीर अकड़-सा जाए। आवाज़ न निकले।
फिर मैंने अपने हारे हुए दिल की सुनी और वही करने की ठानी जो किसी नकारा कर गुज़रना चाहिए। लेकिन, दस मंज़िली इमारत से कूदते वक्त जो उसने मेरा हाथ थामा तो किस्मत मुस्कुरा उठी जैसे!
परिस्थितियाँ मायने नहीं रखतीं, मायने रखती है, उम्मीद! बमुश्किल एक शब्द बोल पाने से लेकर जीवन का मर्म समझने तक की मार्मिक एवं प्रेरक कहानी है, गेरबाज़।
Author: Bhagwant Anmol
Publisher: Penguin
ISBN-13: 9780143463696
Language: Hindi
Binding: Paper Back
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 178
Country of Origin: India
International Shipping: No
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