Description
भारत की अधिकतर जनसंख्या गांवों में निवास करती है और देश के अधिकांश गांव अभी भी शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं, पीने के पानी, बिजली, सड़क, ऋण सुविधाओं, सूचना और बाजार व्यवस्था जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में मूलभूत सुविधाओं से वंचित इन गांवों के आर्थिक, सामाजिक व ढ़ांचागत विकास के लिए भारत सरकार द्वारा ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के समन्वय से विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
भारत में गाँवों के विकास के लिये प्राचीन काल से ही ग्राम पंचायतें कार्य करती आई हैं। पंचायतें जो सच्चे लोकतंत्र की बुनियाद होती हैं, गाँवों में सड़क निर्माण, स्वच्छता, पेयजल, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, मछली पालन, सहकारिता, शिक्षा, कुटीर उद्योग आदि विकास कार्यों को निष्पादित कराती हैं। महात्मा गांधी ने तो ‘ग्राम-स्वराज’ को ही स्वतन्त्र भारत के आर्थिक विकास के केन्द्र-बिन्दु के रूप में देखा। स्वतंत्रता के पश्चात् भारत सरकार द्वारा देश में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई और इनमें महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों की भागीदारी आरक्षण के आधार पर सुनिश्चित की गई।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति काफी चिंताजनक है, अतः ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बिना राष्ट्रीय विकास सम्भव नहीं है। इसलिए इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के स्तर पर अभी भी मौजूद कई खामियों को समय रहते दूर करना जरूरी है ताकि इन योजनाओं को प्रभावी तरीके से धरातल पर उतारा जा सके। अतः प्रत्येक योजना व कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ आम-जन की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी तथा स्वयंसेवी संस्थाओं का अपेक्षित सहयोग नितांत आवश्यक है। यह पुस्तक ग्रामीण विकास में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका तथा ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन को बेहतर ढ़ंग से समझने में मील का पत्थर साबित होगी।
Author: Lakha Ram Chaudhary
Publisher: Rawat Publications
ISBN-13: 9788131612194
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Product Edition: 2021
No. Of Pages: 480
Country of Origin: India
International Shipping: No
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