Description
उनके पुरखे जलजला ला देने वाली ताकत के मालिक थे और वे आठ सौ सालों से तलवार चला रहे थे। उनकी सेनाओं ने बगदाद और खुरासान से चलकर, हिन्दूकुश पर्वत पार कर लिया था और अब वे गंगा-जमुना के मैदानों पर राज कर रहे थे किंतु गुहिलों का अरावली पहाड़ अब तक उनकी पहुंच से बाहर था। खुरासान से आया बादशाह अकबर, अरावली के गर्वित मस्तक को झुकाने के लिये कृतसंकल्प था।
आठ सौ सालों से खुरासानियों से मोर्चा ले रहे गुहिल भी तैयार थे। हल्दीघाटी में एक अवसर था जब, गुहिल इस लड़ाई को उसके अंतिम परिणाम तक पहुंचा देते किंतु स्थितियां तब विषम हो गईं जब सदियों से गुहिलों के अधीन रहकर देश के शत्रुओं से लड़ते आ रहे उत्तर भारत के क्षत्रिय राजाओं ने अकबर की चाकरी स्वीकार कर ली। वे भी अकबर की सहायता के लिए महाराणा प्रताप के विरुद्ध अपनी तलवारें ले आए थे।
महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी। वह लड़ा और तब तक लड़ता रहा जब तक उसने अकबर से मेवाड़ का चप्पा-चप्पा नहीं छीन लिया। पढ़िये रोंगटे खड़े करने वाले इस युद्ध का इतिहास, आधुनिक समय के सबसे चर्चित इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता की लेखनी से।
Author: Dr. Mohan Lal Gupta
Publisher: Rajasthani Granthagar
ISBN-13: 9789384168919
Language: Hindi
Binding: Hardbound
No. Of Pages: 128
Country of Origin: India
International Shipping: No
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