Description
दीपक कोमल संवेदनाओं के कवि हैं। हमेशा मुस्कुराते हुए मिलते हैं। यह जो खिला-खिला दीपक रमोला है, उदास रातों को आँसुओं से सींचता है, तब जाकर सुबह मुस्कुराहट के फूल उगाता है। यह नीयत शायद हर संवेदनशील मन की है, जो ऋण सिर्फ अपने लिए और धन सबके लिए सँजोना चाहता है इसीलिए दीपक लिखते हैं कि ‘जब भी देखोगे मुझे कुछ अपना-सा याद आयेगा।’ जो सड़क सीधे रास्ते जाती है, दीपक रमोला उधर जाने के बजाय आस-पास से गुज़रती पगडंडियों को तरजीह देते हैं। कई बार तो किसी रास्ते का सिरा भी नहीं होता, लगता है इधर से कोई कैसे जायेगा? दीपक पाँच बढ़ा देते हैं। स्वयं यात्रा करते हैं और पीछे आने वालों के लिए रास्ता बनाते हैं। ये सब दीपक रमोला का स्वभाव है, जिसका मैं वर्णन कर रहा हूँ। कवि दीपक रमोला को आप देखेंगे तो मेरे कहे को वह अपनी कविताओं से पुष्टि करता है। दीपक रमोला क्राफ्ट और भाषा से कोई जादूगरी करने वाले कवि नहीं हैं, ऐसा इसलिए भी है कि शायद उन्हें ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं है। कवि दीपक रमोला के भीतर जो बाक़ी दीपक रमोला रहते हैं, उन्होंने अनुभव का सागर-सा संसार भर दिया है। इसलिए दीपक को न विषय दोहराने की ज़रूरत पड़ती है, न कविताओं में कथ्य। हर कविता ताज़ा हवा के झोंके की तरह मिलती है। -प्रताप सोमवंशी
Author: Deepak Ramola
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789357750134
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 155
Country of Origin: India
International Shipping: No
Reviews
There are no reviews yet.