Description
विज्ञापन ने मानवीय गतिविधि के हर क्षेत्र में जनमानस को गहराई से प्रभावित किया है। विज्ञापन उपभोग की शैली, उसके स्तर व स्वरूप को प्रभावित करता है। सतत् माँग और नये बाज़ारों का सृजन करता है। वह बाज़ार तक पहुँचने का शॉर्टकट बन गया है। व्यक्ति को वस्तु बनाने की इस प्रक्रिया को एक सजग साहित्यकार अपना काव्यार्थ बनाता है। विज्ञापन यूँ कहें उपभोक्तावाद या बाज़ारवाद की संस्कृति के मूल में निहित मंशा या षडयंत्र की पहचान कराना भी कवि का दायित्व बन जाता है। इस दृष्टि से लीलाधर जगूड़ी की कविताओं पर पाठकीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।
आज स्त्री ने हर क्षेत्र में अपना प्रभुत्व क़ायम किया है, चाहे वह प्रशासनिक क्षेत्र हो या सामाजिक, घर हो या कोर्ट कचहरी, डॉक्टर, इंजिनीयर अथवा सेना का क्षेत्र, जो क्षेत्र पहले सिर्फ़ पुरुषों के आधिपत्य माने जाते थे, उनमें स्त्रियों क़ी भागीदारी प्रशंसा का विषय है। इसी तरह प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी स्त्रियों की भागीदारी से अछूता नहीं है। स्त्री विमर्श के संदर्भ में स्त्री केन्द्रित विज्ञापनों या स्त्री का बाज़ारीकरण एक अहम पहलू है।
Author: Liladhar Jagoodi
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789352295036
Language: Hindi
Binding: Hardbacks
No. Of Pages: 107
Country of Origin: India
International Shipping: No
Reviews
There are no reviews yet.