Description
महाराणा प्रताप और सोलहवीं सदी में मेवाड़ : भारतीय इतिहास में 16वीं सदी का महत्व कई दृष्टियों में माना जा सकता है। यह सदी अपने प्रारंभ में ही शासकीय सत्ताओं के संगठित होते रूप में सामने आती है, तो बाबर का आक्रमण ऐसे प्रयासों को ध्वस्त करने वाली बड़ी घटना के तौर पर भी दिखाई देता है। शेरशाह के उदय के साथ ही क्षेत्रीय सत्ताओं का विश्वास मेवाड़ के नेतृत्व में स्पष्ट तौर पर सामने आता है, तो आक्रांता के तौर पर माने जा रहे मुगलों को राजपूतों के साथ मैत्री संबंधों का मार्ग भी नजर आता है। महाराणा उदयसिंह द्वारा युद्ध नीति में बदलाव और अकबर द्वारा किला घेरकर सरबात पद्धति से किलों को भेदने जैसी रणनीति भी इस सदी की रणनीतियों का नया रूप ज्ञात होती है।
महाराणा प्रताप जैसे महानायक इस सदी के उज्जवल व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने मुगलों के प्रत्येक अभियान को नाकामयाब किया और संधि के हर प्रस्ताव को खारिज किया। एक सीमित क्षेत्र और सीमित संसाधनों के सहारे तत्कालीन विश्व की सबसे बड़ी मुगल शक्ति को चुनौती देना सचमुच प्रांतीय शक्ति के सफलतम प्रदर्शन का उदाहरण है। इस सदी में 1527 ई. से लेकर अन्त तक मेवाड़ पर हमले और रौंद डालने जैसे घेरे सबको चैंकाते हैं और मेवाड़ का कोई गांव/घर, ऐसा नहीं बचा होगा जहां रण रचने का जोश न हुआ हो और ऐसा शायद ही कोई घर हो, जिसमें कोई आहत न हुआ हो। सोलहवीं सदी संगठन, संघर्ष और समर्पण जैसी घटनाओं की साक्षी होकर उभरती है और मेवाड़ उसमें एक प्रज्वलित दीपक के रूप में आशा जगाता दिखाई देता है।
Author: Sajjan Singh Ranawat
Publisher: RG GROUP
ISBN-13: 9789385593987
Language: HINDI
Binding: HARD BOUND
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 205
Country of Origin: INDIA
International Shipping: Yes
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