Description
मैं बच गयी माँ – ज़ेहरा निगाह का जन्म हैदराबाद, भारत में 1936 में हुआ था और 1947 में उनका परिवार कराची, पाकिस्तान में बस गया। कम उम्र से ही वे मुशायरों में अपनी नज़्में और ग़ज़लें पढ़ने लगी थीं। उस ज़माने में यह एक असामान्य बात थी। हालाँकि उनकी शायरी में एक स्त्री-सुलभ नज़ाकत होती थी लेकिन उनके विचारों में एक दृढ़ स्त्री पक्षधरता भी थी, और अपने छह दशकों की शायरी में उन्होंने जेंडर को अपनी शायरी के विषयों का चुनाव करने की इजाज़त कभी नहीं दी। मुशायरों की पुरुष-प्रधानता वाली दुनिया में अपनी संजीदा शख़्सियत और मौज़ूँ शायरी की वजह से वे एक लोकप्रिय हस्ती के तौर पर जानी जाती हैं। भारत में भी उनका नाम बड़ी मुहब्बत और अदब के साथ लिया जाता है, और मुशायरों में जिन गिने-चुने शायरों का बड़ी बेसब्री से इन्तज़ार होता है, उनमें एक नाम उनका भी है। श्रीराम परिवार के सौजन्य से पिछले सत्तर सालों से आयोजित होने वाले सालाना भारत-पाक मुशायरे में उनकी ख़ास शिरकत का इन्तज़ार हर किसी को रहता है। उनकी शायरी में एक औरत होने के साथ-साथ एक शायरा होने के तमाम दबावों और समझौतों की झलक साफ़ देखी जा सकती है।
Author: Zehra Nigah
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789390678693
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
Country of Origin: India
International Shipping: No
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