Description
राजनीति का गम्भीर सामाजिक आशय किस तरह आज अपनी सार्थकता गँवाकर बाज़ार की ज़रूरतों में तब्दील हो चुका है, उसका आम आदमी को लेकर सत्ता के सर्वोच्च शिखर तक पहुँचने वाला रूपक, कैसे कर और जघन्य ढेरों हाथों के चंगुल में आकर उलझ गया है- ऐसी भयावहता की शिनाख्त अपने असम्भव अर्थों तक यह उपन्यास करता है। मंडी एक प्रतीक है, उस सच का और आज के निर्मम यथार्थ का, जिसमें सत्ता और तन्त्र साँप-सीढ़ी के पुराने खेल से बहुत आगे जाकर समकालीन अर्थों में राजनीति का आँखों देखा हाल बयाँ करती है। यह देखना गहरे अचम्भे में डालता है कि यह राजनीति, खासकर उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में किस कदर एक साथ दिलचस्प और त्रासद है, निर्मम और हास्यास्पद है तथा भीतर से खोखली व ऊपरी सतह पर अत्यन्त विडम्बनापूर्ण ढंग से एक बन्द अन्धेरी सुरंग में जाने को विवश है। वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल की क़लम से निकला हुआ उनका यह पहला उपन्यास ही इस बात की सफलतापूर्वक नुमाइन्दगी करता है कि पत्रकारिता के जीवन में रहते हुए उन्होंने समाज, राजनीति, सत्ता, तंत्र, नौकरशाही और बाज़ार की, ज़र्रा-ज़र्रा और रेशा-रेशा महीन पड़ताल की है।
Author: Brajesh Shukla
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 8181436598
Language: Hindi
Binding: Hardback
No. Of Pages: 271
Country of Origin: India
International Shipping: No
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