Description
हिन्दी कथाकारों में ममता कालिया अपनी पैनी दृष्टि, जीवन्तता और साफगोई के लिए, अलग से पहचानी जाती हैं। उनकी रचनाओं की विशेषता है कि वे अपने लेखन में रोजमर्रा के संघर्ष में युद्धरत स्त्री का व्यक्तित्व बड़ी संवेदना से उभारती हैं, साथ ही जीवन की जटिलताओं के बीच जी रही हाड़-मांस की स्त्री के जीवन के उन पहलुओं पर पाठकों की दृष्टि आकर्षित करती हैं, जिन्हें लोग प्रायः नजरअन्दाज करते रहे हैं।
यों तो लड़कियों के जीवन में उम्र का सोलहवाँ साल बहुत नाजुक होता है पर पचीस साल की उम्र भी खास मायने रखती है। आधुनिक युग की देन है- लड़कियों की उम्र का पचीसवाँ साल, जिसे ममता जी ने इस संग्रह की कहानियों में रेखांकित किया है। इन कहानियों में उस उम्र की युवतियों की मानसिकता, उनके जीवन-संघर्ष, राग-विराग को कहीं चटक तो कहीं उदास रंगों में प्रस्तुत किया गया है। अलग तेवर लिये इन कहानियों को पढ़ने का आनन्द ही कुछ और है।
Author: Mamta Kaliya
Publisher: Remadhav Publications
ISBN-13: 9788189850128
Language: Hindi
Binding: Hardbound
No. Of Pages: 152
Country of Origin: India
International Shipping: No
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