Description
पंचायत राज : सम्भावनाएँ व कार्य शक्ति पुस्तक पंचायत राज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है और अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत करती है।
यह पुस्तक बताती है कि पंचायती राज संस्थाओं का मुख्य कार्य ग्रामीण विकास के लिए सहभागिता के आधार पर योजना बनाना, उनको लागू करना, उनका मूल्यांकन करना है। पंचायतें तो देश आज़ाद होने के बाद भी अस्तित्व में थीं, लेकिन उनमें कमी यह थी कि ग्रामीण समाज के सभी वर्गों ख़ासतौर पर महिलाओं व वंचितों की भागीदारी नहीं के बराबर थी । आज़ादी के बाद पंचायतों को मज़बूत करने व ग्रामीण विकास के लिए सामुदायिक विकास व राष्ट्रीय विस्तार कार्यक्रम चलाये गये। इन कार्यक्रमों के संचालन में लोगों की सहभागिता कम नौकरशाही अधिक थी इसलिए प्रयास असफल हो गये। बाद में बलवन्त मेहता समिति ने इन कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने के बाद तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सिफ़ारिश की। बाद में अशोक मेहता समिति ने पंचायतों का आधार मजबूत करने के लिए दो स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की सिफ़ारिश की, लेकिन पंचायतों को क़ानूनी आधार न मिलने व आम लोगों की उसमें भागीदारी न होने के कारण ये काग़ज़ों तक ही सीमित रहीं। सन् 1977 में ब्लॉक योजना समिति ने तो यहाँ तक कह दिया था कि पंचायतें ग्रामीण समाज के कमज़ोर तबकों के लिए ‘गेटकीपर’ बन गयी हैं, अर्थात् इन वर्गों को भागीदार बनाने के बजाय उन्हें भागीदार होने से रोकती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में यह भी उल्लिखित किया गया है कि 73वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायतों को कानूनी आधार मिला व समाज के वंचित वर्गों को भी पंचायतों में सदस्य व अध्यक्ष के रूप में उचित प्रतिनिधित्व दिया गया। इस संशोधन के अनुच्छेद 243-छ के अनुसार पंचायतें अपने स्तर पर आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय की योजना बना सकेंगी। इस कार्य को करते समय वे संविधान की 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों से सम्बन्धित योजनाओं को भी कार्यान्वित कर सकेंगी। इस अनुसूची में खेती-बाड़ी से लेकर गाँव की परिसम्पत्तियों के रख-रखाव की योजनाएँ भी शामिल हैं।
इतना ही नहीं, योजना बनाने के कार्य को पंचायतें कैसे करेंगी? उनको अपने स्तर पर क्या-क्या क़दम उठाने पड़ेंगे? कैसे-कैसे वे विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेंगी? आदि कई महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी इस पुस्तक में व्यापक स्तर पर दी गयी है।
अपने आठ विषयों- ‘ग्रामीण योजनाएँ व पंचायती राज’, ‘ग्राम सभा, पारदर्शिता व समाज विकास’, ‘ग्राम पंचायत के कार्य व शक्तियाँ’, ‘पंच, पंचायत और पंचायती राज’, ‘हमारी महिला प्रधान’, ‘पंचायती राज और महिलाएँ : कई उपलब्धियाँ, कुछ अवरोध’, ‘बच्चों का स्वास्थ्य व ग्राम पंचायत’, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात के सुरक्षित साधन’ – में विभक्त यह पुस्तक जितनी ग्रामीण जनों, पंचायती राज से जुड़े प्रधानों व सदस्यों के लिए उपयोगी और महत्त्वपूर्ण है, उतना ही पंचायती राज के बारे में जानने को उत्सुक अध्येताओं के लिए भी है।
Author: Bharat Dogra, Dr. Mahipal
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789357751186
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 224
Country of Origin: India
International Shipping: No
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