Description
रहीम का संवदेनशील एवं सचेतनशील व्यक्तित्व था। कूटनीति और युद्धोन्माद के विषम परिवेश ने उनकी संवेदनशीलता को नष्ट नहीं किया था। इससे उनके अनुभव समृद्ध हुए हैं तथा मानव प्रकृति को समझने का अच्छा अवसर मिला है। वे स्वयं रचनाधर्मिता की ओर उन्मुख हुए ही, साथ ही अकबर के दरबार को कवियों और शायरों का केन्द्र बना दिया। अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और उदारवादी नीति ने उनदरारों को पाटने का कार्य किया जे दो सम्प्रदायों के बीच चौड़ी व गहरी होती जा रही थी। रहीम जन्म से तुर्क होते हुए भी पूरी तरह भारतीय थे। भक्त कवियों जैसी उत्कट भक्ति-चेतना भारतीयता और भारतीय परिवेश से गहरा लगाव उनके तुर्क होने के अहसास को झुठलाता सा प्रतीत होता है।
Author: Vidyaniwas Mishra, Govind Rajneesh
Publisher: Vani Prakashan
ISBN-13: 9789387024861
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 183
Country of Origin: India
International Shipping: No
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