Description
सरहपा के सूत्र साफ-सुथरे हैं। पहले वे निषेध करेंगे। जो-जो औपचारिक है, गौण है, बाह्य है, उसका खंडन करेंगे; फिर उस नेति-नेति के बाद जो सीधा सा सूत्र है वज्रयान का, सहज-योग, वह तुम्हें देंगे। सरल सी प्रक्रिया है सहज-योग की, अत्यंत सरल! सब कर सकें, ऐसी। छोटे से छोटा बच्चा कर सके, ऐसी। उस प्रक्रिया को ही मैं ध्यान कह रहा हूं। यह अपूर्व क्रांति तुम्हारे जीवन में घट सकती है, कोई रुकावट नहीं है सिवाय तुम्हारे। तुम्हारे सिवाय न कोई तुम्हारा मित्र है, न कोई तुम्हारा शत्रु है। आंखें बंद किए पड़े रहो तो तुम शत्रु हो अपने, आंख खोल लो तो तुम्ही मित्र हो।
जागो! वसंत ऋतु द्वार पर दस्तक दे रही है। फूटो! टूटने दो इस बीज को। तुम जो होने को हो वह होकर ही जाना है। कल पर मत टालो। जिसने कल पर टाला, सदा के लिए टाला। अभी या कभी नहीं! यही वज्रयान का उदघोष है।
ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु
* स्मृति ज्ञान नहीं है; ज्ञान अनुभव का नाम है
* धर्म का संबंध जन्म से नहीं है–स्वयं की खोज से है
* क्या सहज-योग समर्पण का ही दूसरा नाम नहीं है?
* क्या जीवन सच ही बस एक नाटक है?
* सहज-योग का आधार साक्षी
*जीवन का शीर्षक प्रेम
Author: Osho
Publisher: Diamond Pocket Books (Pvt.) Ltd.
ISBN-13: 9789390088690
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 379
Country of Origin: India
International Shipping: No
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