Description
भारतीय सभ्यता और संस्कृति पर अनेक विदेशी एवं भारतीय विद्वानों ने विचार किया है, परन्तु भगवान सिंह की यह पुस्तक उन सबसे अलग है। भगवान सिंह भारतीय वाङ्गमय के मर्मज्ञ और बहुज्ञ हैं, साथ ही पूर्वाग्रह से मुक्त भी। यही कारण है कि उनका चिंतन वस्तुनिष्ठ और बहुरेखीय है। वे लोक और वेद को आमने-सामने खड़ा कर पंचायती निर्णय देने से बचते हैं बल्कि दोनों की पूरकता को सामने लाते हैं।
Author: Shribhagwan Singh
Publisher: Samayik Prakashan
ISBN-13: 9788193674987
Language: Hindi
Binding: Hardbond
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 224
Country of Origin: India
International Shipping: No
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