Description
साक्षी है पीपल की कहानियाँ बिना किसी लाग-लपेट या दाब-ढाँक के जीवन के यथार्थ और त्रासदियों को अभिव्यक्त करती हैं। किसी में पापुमपारे नदी क्षेत्र का वातावरण है, किसी में जोराम गाँव, किसी में जीरो नामक जगह। स्त्रियाँ सभी कहानियों के केन्द्र में हैं। भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ निभाती हुई, सबसे बड़ी पत्नी के रूप में भारी-भरकम जिम्मेदारी उठाती हुई, अपनी मर्जी दर्शाते हुए पति की एक के बाद एक शादियाँ करवाती हुई, दोनों वक़्त भोजन पकाती हुई, खेत-जंगल में हाड़तोड़ काम करती हुई, समूह-उत्सव में स्थानीय दारू का प्रबन्ध करती हुई, बार-बार छली जाकर टूटती हुई, सबसे छोटी पत्नी के रूप में अपमान सहती हुई और जीती हुई, कभी-कभी किसी सौत के हमउम्र पुत्र की ओर आकृष्ट होती हुई। यही स्त्री अपने होने का अर्थ खोजती हुई भी यालाम की कहानियों में मौजूद है।
इन कहानियों के बच्चे भी विलक्षण हैं। अनेक माँओं, किन्तु एक ही पुरुष की सन्तान होकर साथ-साथ रहते, सोते, खाते, शिकार करते, खेती में सहायता करते, शैतानी और मनोरंजन करते तथा अपनी ज़रूरतें ख़ुद पूरी करने को आतुर।
बाह्य संरचना की दृष्टि से ये कहानियाँ बतकही के काफ़ी क़रीब हैं। रचना के ढाँचे के बारे में कोई ख़ास सावधानी दिखाई नहीं देती–ऐसी तो बिल्कुल नहीं, जो किसी लेखक को आशंका से भरे रखती है कि कहीं कोई उसकी कलात्मकता में कोई कमज़ोरी न खोज ले। यालाम को इसकी चिन्ता नहीं है।
बिना किसी बनाव-सिंगार के जीवन और जीजिविषा के जो विविध चित्र इन कहानियों में उपस्थित हैं वे अविस्मरणीय हैं।
Author: Joram Yalam Nabam
Publisher: Radhakrishna Prakashan Pvt. Ltd.
ISBN-13: 9788119092376
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Country of Origin: India
International Shipping: No
Reviews
There are no reviews yet.