Description
भगवान ने स्त्री व पुरुष को बराबर की ही भूमिका दी है। स्त्री व पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए के समान हैं। जब दोनों पहियों में हर दृष्टिकोण से समानता नहीं होगी गाड़ी सुचारु रूप से नहीं चल सकेगी। उसके बनाये संसार को चलाने के लिये यह दोनों स्तम्भ बराबर का स्तर रखते हैं। बल्कि स्त्री को उन्होंने आत्म शक्ति व सहनशीलता ज्यादा ही दी है। नारी तो एक नई पीढ़ी को जन्म देती है फिर उससे पाये संस्कार से वही पीढ़ी अपना व समाज का विकास कर उन्नति करती है।
संसार समझता है कि भारत में स्त्रियों को उचित सम्मान नहीं मिलता है। पाश्चात्य सभ्यता में स्त्रियों को समानता का स्थान प्राप्त है । परन्तु यह कहना उचित नहीं है। भारतीय समाज में भी स्त्रियों को समानता का अधिकार प्राप्त था। बल्कि कुछ ज्यादा ही महत्व नारियों को मिलता था। यह तो कुछ समय के लिऐ भारत में मुगल साम्राज्य आने के कारण उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए नारियों को पर्दे में रहना पड़ा। जो कि बाद में कुरीतियों की तरह समाज ने अपना लिया। अब पुनः समाज में नारियों को उनका उचित स्थान दिया जाने लगा है।
Author: Aruna Trivedi
Publisher: Diamond Pocket Books (Pvt.) Ltd.
ISBN-13: 9789356846203
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 252
Country of Origin: India
International Shipping: No
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