Description
हिन्दुत्व, अल्पसंख्यक, अल्पसंख्यकवाद, राष्ट्र-गीत, राष्ट्रीयता, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता जैसे कुछ शब्द हमेशा विवाद के घेरे में रहे हैं। खासतौर पर देश का तथाकथित प्रगतिशील या वामपंथी तबका इन शब्दों को लेकर उलझता रहा है। मजे की बात तो यह है कि अल्पसंख्यक शब्द मुस्लिम समुदाय का समानार्थक हो गया है। ‘सांस्कृतिक अनुभूति : राजनीतिक प्रतीतिÓ में संकलित पचास लेखों में राष्ट्रवादी विचारक श्री दीक्षितजी ने इन तथा इन जैसे अन्य कई ज्वलंत और सामयिक मुद्दों पर दो टूक लहजे में अपने विचार व्यक्त किये हैं। लेखक की मजबूत ताॢककता के चलते विरोधी भी नये सिरे से सोचने पर विवश हो जाते हैं। इस पुस्तक में संकलित लेखों में विद्वान लेखक ने उन विषयों को स्पर्श किया जिसे तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी सिरे से नकारते हैं या खारिज कर देते हैं। इसके उलट आज जरूरत है इन विषयों पर गहराई से मंथन की। आधुनिक विज्ञान भी भारत के प्रागैतिहासिक युग की उपलब्धियों की ओर संकेत करने लगा है। भारतीय ङ्क्षचतन के कुछ सूत्र तो शाश्वत लगते हैं। लेखक ने इन सूत्रों की पुनप्र्रस्तुति में अपने गहन अध्ययन का परिचय दिया है।
Author: Hridaynarayan Dikshit
Publisher: Hridaynarayan Dikshit
ISBN-13: 9.78817E+12
Language: Hindi
Binding: Hardbound
No. Of Pages: 156
Country of Origin: India
Reviews
There are no reviews yet.