Description
बीसवीं शताब्दी में ‘सत्य के प्रयोग’ अथवा ‘आत्मकथा’ का लेखन मोहनदास करमचंद गांधी ने सत्य, अहिंसा और ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया था। इसका पहला प्रकाशन भले ही 1925 में हुआ, पर इसमें निहित बुनियादी सिद्धांतों पर वे अपने बचपन से चलने की कोशिश करते आए थे। बेशक इस क्रम में मांसाहार, बीड़ी पीने, चोरी करने, विषयासक्त रहने जैसी कई आरंभिक भूलें भी उनसे हुईं और बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए विदेश जाने पर भी अनेक भ्रमों-आकर्षणों ने उन्हें जब-तब घेरा, लेकिन अपने पारिवारिक संस्कारों, माता-पिता के प्रति अनन्य भक्ति, सत्य, अहिंसा तथा ईश्वर को साध्य बनाने के कारण गांधीजी उन संकटों से उबरते रहे। महात्मा गांधी बीसवीं सदी के सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जिनकी अप्रत्यक्ष उपस्थिति उनकी मृत्यु के सड़सठ वर्ष बाद भी पूरे देश पर देखी जा सकती है। उन्होंने स्वाधीन भारत की कल्पना की और उसके लिए कठिन संघर्ष किया। स्वाधीनता से उनका अर्थ केवल ब्रिटिश राज से मुक्ति ही नहीं था, बल्कि वे गरीबी, निरक्षरता और अस्पृश्यता जैसी बुराइयों से मुक्ति का सपना देखते थे। वे चाहते थे कि देश के सारे नागरिक समान रूप से आजादी और समृद्धि का सुख पा सकें। गांधी-अध्ययन का सबसे प्रमुख दस्तावेज, स्वयं गांधी जी की कलम से!
Author: Mohan Das Karamchand Gandhi
Publisher: Sakshi Prakashan
ISBN-13: 8186265511
Language: Hindi
Binding: Hardback
Product Edition: 2019
No. Of Pages: 320
Country of Origin: India
International Shipping: No
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