Description
बीसिवीं सदी के प्रारम्भिक दौर में बांगला समाज में जहाँ नारी को कुछ बोलने की आज़ादी नहीं थी, उस परिवेश में जब कमल अलग-अलग मुद्दों पर अपने पति से प्रश्न करती है तो । उसे यह फूटी आँख नहीं भाता। स्वतन्त्र विचार वाली । मुँहफट कमल का हर प्रश्न पुरुष के नारी के ऊपर स्वामित्व की नींव पर चोट पहुँचाता है। जैसे-जैसे कमल के प्रश्न बढ़ते हैं, उसके और उसके पति शिवनाथ, जिससे वह पूरे रीति-रिवाज़ से ब्याही भी नहीं है, के बीच टकराव और तनाव बढ़ता जाता है। और कमल अपने अलग रास्ते पर निकल जाती है…1931 में लिखा शरतचन्द्र का यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है, क्योंकि नारी जिन प्रश्नों के उत्तर तब तलाश रही थी वे आज भी अनुत्तरित हैं।
Author: Sharatchand Chatopadhyay
Publisher: Sharatchand Chatopadhyay
ISBN-13: 9.78817E+12
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 288
Country of Origin: India
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