Description
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इतिहास पर दृष्टि डालने पर कुछ शक्तियाँ सहज ही लक्ष्य की जा सकती हैं। यथा, सामरिक शक्ति, आर्थिक शक्ति, जनसमूह के संगठन की शक्ति, लेकिन जो शक्तियाँ वस्तुतः पृथ्वी को धारण करती हैं, वे साधारणतः प्रत्यक्षगोचर नहीं होती हैं। परंतु ऐसा भी नहीं है कि वे कभी हमारे सामने आती ही नहीं हैं। करुणावश, वे हमारे क्रियाकलाप में इस प्रकार हस्तक्षेप करती हैं कि हम उनको इस धरातल पर देख सकें। तोटकाचार्य अपने स्तोत्र में लिखते हैं—जगतीमवितुं कलिताकृतयो विचरन्ति महामहसश्छलतः। जगती की रक्षा करने हेतु महान् विभूतियाँ छद्म-शरीर धारण करके विचरण करती हैं। इन विभूतियाँ का संपर्क, इनके स्पर्श, इनकी वाणी, व इनके कटाक्ष सभी अभ्युदय हेतु होते हैं।
‘सिद्ध संत और योगी’ ऐसी विभूतियों के चिंतन व जीवनचरित का परिचय प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक एक संकलन के रूप में जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत रोचक है, पर दूसरी ओर इसमें चर्चित अधिकांश महात्माओं की जीवंत शिष्य-परंपराएँ विद्यमान हैं, जहाँ आर्त्त व जिज्ञासु आश्रय अथवा मार्गदर्शन हेतु जा सकते हैं। आसन्न संकटों से निबटने के लिए मानवजाति के सम्मुख चेतना के उन्नयन के अतिरिक्त कोई मार्ग शेष नहीं है; इस पुस्तक में संकलित लेख कदाचित् इसी आशय से लिखे गए थे।
THE AUTHOR
शम्भूरत्न त्रिपाठी
भारतीय संस्कृति, समाज शास्त्र, नृतत्त्वशास्त्र, गांधीवाद, योग-अध्यात्म, साहित्यिक अनुसंधान और समीक्षा के सुपरिचित रचनाकार थे। विविध विषयों पर उनके पचास से अधिक ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने अनेक पत्रों व साहित्यिक ग्रंथमालाओं का संपादन किया और वैचारिक, दार्शनिक ग्रंथों का अनुवाद भी। उनके ग्यारह अकादमिक ग्रंथ सरकार द्वारा पुरस्कृत हुए हैं, जिन्हें विभिन्न विश्व-विद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रमों में स्थान दिया है। पी-एच.डी. और डी.लिट. के बीसीयों छात्रों ने उनसे मार्गदर्शन प्राप्त कर साहित्यिक क्षेत्र में अपना मौलिक योगदान दिया। भारत सरकार के पारिभाषिक शब्दावली आयोग के सलाहकार समिति के सदस्य रहे। साप्ताहिक पत्रिका ‘मनु’ और ‘कंचनप्रभा’ मासिक के संपादक भी रहे।
स्मृतिशेष : 10 अक्तूबर, 1988
Author: Shambhuratna Tripathi
Publisher: Shambhuratna Tripathi
ISBN-13: 9.78939E+12
Language: Hindi
Binding: Paper Back
No. Of Pages: 295
Country of Origin: India
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