Description
उस शाम हलकी सी ठंडी हवा चली और डींगीचोप्प्य पानी में तेज रफ्तार से चल पड़ी ।
“आखिर हम सामने जा रहे हैं ?” कप्तान ने कहा।
“गोल-गोल जा रहे हैं।” श्री मगरिज ने कहा।
परंतु हवा बहुत ताजगी भरी थी; हमारे जलते अंगों को ठंडक मिली और नींद में सहायक साबित हुई। आधी रात को मैं भूख के कारण जग गया।
“तुम ठीक तो हो ?”’ मेरे पिताजी ने पूछा, जो सारे वक्त जगे हुए थे।
“केवल भूखा था।” मैंने कहा।
“और तुम क्या खाना चाहोगे ?”
“संतरे |“
Author: Ruskin Bond
Publisher: Prabhat Prakashan
ISBN-13: 9789355214096
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 192
Country of Origin: India
International Shipping: Yes
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