Description
नृत्य और अभिनय से आजीविका स्तर तक सम्बद्ध मां–बाप की संतान गुलनाज़ फरीबा के मानसिक विचलन और अनोखे सृजनात्मक विकास व उपलब्धियों की कथा है यह उपन्यास ‘स्वप्नपाश’ । के.के. बिरला फाउंडेशन के बिहारी सम्मान से सम्मानित स्किज़ोफ्रेनिया पर केन्द्रित यह रचना ऐसे समय में आई है जब वैश्वीकरण की अदम्यता और अपरिहार्यता के नगाड़े बज रहे हैं । स्थापित तथ्य है कि वैश्वीकरण अपने दो अनिवार्य घटकों–––शहरीकरण और विस्थापन के द्वारा पारिवारिक ढांचे को ध्वस्त करता है । मनोचिकित्सकीय शोधों के अनुसार शहरीकरण स्किज़ोफ्रेनिया के होने की दर को बढ़ाता है और पारिवारिक ढांचे में टूट के कारण रोग से मुक्ति में बाधा पहुंचती है । ध्यातव्य है कि गुलनाज़ पिछले ढाई दशकों में बने ग्लोबल गांव की बेटी है । अपने समय की विशिष्ट रचनाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ के इस उपन्यास को गम्भीर चेतावनी की तरह भी पढ़े जाने की जरूरत है । आधुनिक जीवन, कला और मनोविज्ञान–मनोचिकित्सा की बारीकियों को सहजता से चित्रित करती, समर्थ और प्रवाहमान भाषा में लिखा गया यह उपन्यास बाध्यकारी विखंडनों से ग्रस्त समय में हर सजग पाठक के लिए एक अनिवार्य पाठ है ।
Author: Manisha Kulshreshtha
Publisher: Samayik Prakashan
ISBN-13: 9789393232137
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2022
No. Of Pages: 144
Country of Origin: India
International Shipping: No
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