Description
थेरीगाथा बौद्ध भिक्षुणियों द्वारा संघ प्रवास के दौरान लिखी गई कविताओं का संकलन है। बौद्ध साहित्य में इसे सुत्त पिटक के खुद्दक निकाय के नवें खण्ड के रुप में संकलित किया गया है। कविताओं की कुल संख्या 73 है। इनकी भाषा पाली है। थेरवाद सम्प्रदाय से सम्बन्धित होने की वजह से इन भिक्षुणियों को थेरी कहा गया और इनकी कविताओं का संकलन थेरीगाथा कहलाया। लंदन से पाली टेक्स्ट सोसाइटी ने 1883 में पहली बार हर्मन ओल्डेनबर्ग और रिचर्ड पिशेल द्वारा (पाण्डुलिपियों से) पाली में थेरीगाथा का पाठ प्रकाशित किया था। इसी सोसाइटी के लिये अंग्रेजी में इसका अनुवाद 1990 में श्रीमती राॅइस डेविड्स द्वारा किया गया। हिन्दी में थेरीगाथा के अनुवाद प्रायः न के बराबर हैं। डाॅ. भरत सिंह उपाध्याय ने सर्वप्रथम हिन्दी के पाठकों के लिये थेरीगाथा का अनुवाद 1947 में प्रस्तुत किया जो हिन्दुस्तानी अकादमी की तिमाही पत्रिका ‘हिन्दुस्तानी’ मेें अप्रैल-सितम्बर अंक में छपा था। दूसरा अनुवाद 2003 में ‘नारी जाति की स्वतंत्रता का प्रथम ऐतिहासिक दस्तावेज थेरीगाथा’ शीर्षक से डाॅ. विमल कीर्ति द्वारा किया गया जो सम्यक् प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित है। हिन्दी के ये उपलब्ध अनुवाद गद्य शैली में हैं। थेरीगाथा का प्रस्तुत अनुवाद कविता की शैली में किया गया है। यह काव्यानुवाद थेरीगाथाओं की आन्तरिक लय को ध्वनित करता है। इस बात का विशेष प्रयास किया गया है कि भावानुवाद में कथ्य की सटीकता बनी रहे। पुस्तक के अंत में दिये गये परिशिष्ट समसामयिक स्त्री संदर्भों को स्त्री की सामाजिक प्रस्थिति के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित करते हैं। इनमें क्रमशः थेरियों, अभिजात स्त्रियों और गणिकाओं को केन्द्र में रखकर विश्लेषण किया गया है। -नीलिमा पाण्डेय
Author: Neelima Pandey
Publisher: Neelima Pandey
ISBN-13: 9.78939E+12
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 224
Country of Origin: India
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