Description
कई सदियों तक दिल्ली में शासन करने वाले मुग़ल शासकों में सबसे अधिक प्रसिद्ध, चर्चित और लोकप्रिय रहे अकबर महान की महानता में भी कई ऐसे सूराख़ रहे, जिनसे मालूम होता है कि शासन-सत्ता सँभालने वाला सबसे पहले बादशाह होता है, अन्य रिश्ते-नाते सब बाद में आते हैं। बादशाहत को बनाये रखने में अनेकानेक ऐसे कूटनीतिक दाँव-पेंच व षड्यन्त्र रखे जाते हैं, जिन्हें अक्सर इतिहास में सामने नहीं लाया जाता। मुग़ल शासक अकबर का शासनकाल भी इससे अछूता नहीं। दुल्ला भट्टी बार इलाके का निवासी इतना जांबाज़ था कि उसने सरेआम अकबर के कारिन्दों को लगान वसूलने पर फटकार भेज दिया। उसका मानना था, धरती उनकी, परिश्रम उनका, तो लहलहाती फ़सल पर हक बादशाह का कैसे…? मुगल सल्तनत के दौर में दुल्ला भट्टी एक ऐसे नायक के रूप में सामने आया, जिसने अपनी हिम्मत, दिलेरी तथा जांबाज़ तबीयत से मुग़ल सेना के छक्के छुड़ा दिये। अवाम की हिफाजत के लिए उसके हित को सर्वोपरि रख, जान हथेली पर रख कर लड़ने वाला ‘दुल्ला’ लोकनायक के रूप में उभरा ऐसा सितारा है, जिसने अपने मुट्ठी भर साथियों के साथ मुगल सेना का मुक़ाबला कर उनमें भगदड़ मचायी और दूसरी ओर धोखे से कैद कर, फाँसी के तख्ते पर सरेआम लटकाये जाने से वह सदा के लिए अविभाजित पंजाब तथा राजस्थान के इलाके में अमर हो गया। लोगों में उसकी वीरता के किस्से मशहूर हुए और आज भी पश्चिमी पंजाब तथा उत्तर पंजाब में उसकी ‘वारें’ गायी जाती हैं। ऐसे लोकनायक दुल्ला भट्टी के जीवन तथा जांबाज़ी पर आधारित उपन्यास की रचना बलदेव सिंह ने की है। इस उपन्यास पर उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। छोटे-छोटे वाक्यों द्वारा इस वीर नायक की गाथा को इस प्रकार घटनाओं में पिरोया गया है कि अन्त तक रोचकता बनी रहती है।
Author: Baldev Singh
Publisher: Baldev Singh
ISBN-13: 9.78935E+12
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 344
Country of Origin: India
International Shipping: yes
Reviews
There are no reviews yet.