Description
समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों का इतिहास बहुत पुराना है। सुकरात से लेकर आज तक समाज की यथार्थता को जानने के लिये कई सिद्धान्तों का प्रतिपादन हुआ है। इन सभी सिद्धान्तों को समय की छलनी ने गहनता से छाना है। यह सब होने के उपरान्त भी आज कुछ सिद्धान्त ऐसे हैं जिनकी प्रासंगिकता आधुनिक समाज के लिये बरकरार है। ये सिद्धान्त वस्तुतः महान विचारों के भण्डार है। इनके निर्माण में वेबर, मार्क्स, दुर्खीम, पेरेटो, पारसन्स, मर्टन, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों की वीथिका में हाल में कुछ नये सिद्धान्तों का सृजन भी हुआ है। क्रिटीकल समाजशास्त्र, रेडिकल समाजशास्त्र, पोस्ट मोडर्निटी, आदि समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के नये क्षितिज हैं। इनके अतिरिक्त परम्परागत सिद्धान्तों में भी संरचनात्मक मार्क्सवाद, नवीन मार्क्सवाद, पोस्ट संरचनावाद आदि के संशोधित स्वरूप भी हमारे सामने आये हैं। हाल में दुनिया भर के समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों में एक नई दिशा देखने को मिली है। आज यह प्रयत्न किया जा रहा है कि विभिन्न सिद्धान्तों में किसी न किसी तरह एकीकरण स्थापित किया जाये। समाज को उसके समग्र या सम्पूर्ण रूप में देखा जाना चाहिये। इस तरह की बदलती हुई दिशा ने समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के बारे में हमारी समझ को एक नया संदर्श दिया है।
प्रस्तुत पुस्तक में समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के इस विशाल क्षितिज को समेटने का प्रयास किया गया है।
Author: S.L. Doshi And M.S. Trivedi
Publisher: Rawat Publication
ISBN-13: 9788170335054
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2021
No. Of Pages: 405
Country of Origin: India
International Shipping: No
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