Description
उर्दू शायरी में तड़कियों की बड़ी अहमियत और उपयोगिता रही है। और उनके माध्यम से हमें प्राचीन शायरों की रचनाएँ उनके जीवन के हालात और उस दौर की सांस्कृतिक और सामाजिक स्थितियों से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में मदद मिली है। बुकिरा लिखने की शुरुआत लगभग अठारहवीं सदी के पास हुई थी। शोधकर्ताओं के अनुसार उर्दू के पहले तज़किरे का उल्लेख मिर्वा लुल्क अली का गुलशान-ए-हिन्द’ नाना जाता है। इससे पहले भी हो सकता है किसी ने किसी संग्रह या याददास्त के रूप में कोई तकिंरा लिखा हो, लेकिन वह अभी तक किसी की नज़र से नहीं गुजरा, उपरोक्त तकिये को ही पहला उबुकिया करार दिया गया। इसके बाद अनगिनत किसने आरनों से कुछ को उर्दू साहित्य में बेहद महत्व और लोकप्ति हुई है।
दरअसल तकिरा और ‘बाबू’ याददाश्त किस्म की चीज़ रही हैं। और उनमें ज्यादातर ध्यान शायरों की उनके शिव और पारिवारिक स्थिति पर दिया गया है। कुछ तबुकियरों में शायों का उल्लेख उनके उता की जीवनी और शायरी के साथ किया गया है। कुछ में तकियों ने दौर निर्धारित किये हैं और इसके तहत उनका लेख किया है। और हर दौर के शायरों में आगे-पीछे का ध्यान रखा है। इनमें से कुछ काँ में आलोचना का तत्व भी पाया जाता है, जो किसी में अधिक और किसी में सरसरी तौर पर पाया जाता है।
पिछले दो ढाई सौ वर्षों के दौरान कई ताकि प्रकाशित हो चुके हैं। जिनकी गिनती भी कठिन काम है। लेकिन इस लंबी अवधि में जिन महत्वपूर्ण तजुकिरों से हमें लाभ उठाने का अवसर मिला है
Author: Nand Kishore Vikram
Publisher: Sakshi Prakashan
ISBN-13: 9789384456481
Language: Hindi
Binding: Paperback
Product Edition: 2017
No. Of Pages: 736
Country of Origin: India
International Shipping: No
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