Description
दोनों क्रांतिकारी तुरंत अपने शिकार को पहचान गए । शाम को साढ़े पाँच बजे तक जिला परिषद् की मीटिंग की कार्यवाही नियमित रूप से चलती रही । एजेंडे के नौवें बिंदु पर विचार शुरू हुआ । डगलस जिला परिषद् के कागजों पर हस्ताक्षर कर रहा था और अपनी सम्मति भी देता जा रहा था कि अचानक सभाभवन गोली चलने की दहशत- भरी आवाज से गूँज उठा । सभी सदस्य एकदम सकते में आ गए । उन्होंने देखा, दो युवक डगलस के पीछे की तरफ दाएँ-बाएँ खड़े गोली चला रहे थे । गोली चलानेवाले तथा डगलस की दूरी एक-डेढ़ गज से ज्यादा नहीं थी ।
उनकी हर गोली छूटने की आवाज होती और वह डगलस की गाड़ी पीठ में घुस जाती । कोट के ऊपर एक नया लाल छेद बन जाता । पहली गोली पर वह हलके से चीखा, जिसमें दर्द और पुकार दोनों थी । फिर वह कुछ उठने की कोशिश करता रहा, जो दूसरी गोली तक जारी थी । तीसरी गोली तक स्थिर रहा । पाँचवीं गोली लगने के बाद वह मेज पर मुँह के बल गिरकर निढाल पड़ गया । उसकी वह चीख चार गोलियों तक धीमी होती गई और पाँचवीं गोली तक लगता था, वह होशोहवास खो चुका था । प्रभांशु की पाँचों गोलियाँ उसे छेदकर घुस गई थीं । प्रद्योत ने एक गोली चलाई, जो चली, मगर लगी नहीं । उसकी पिस्तौल अब जाम हो गई थी । जैसे राजगुरु की पिस्तौल सांडर्स को मारने के लिए पहली गोली चलाने के बाद जाम हो गई थी ।
-इसी पुस्तक से
Author: Jagdish Jagesh
Publisher: S.K. Enterprises
ISBN-13: 9789380839004
Language: Hindi
Binding: Hardbound
Country of Origin: India
International Shipping: No
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