Description
आत्मज्ञान किसी कर्मकाण्ड, मन्त्रजाप, मन्दिर-मस्जिद जाने, प्रवचन सुन लेने मात्र से नहीं हो सकता। उसके लिए विचार ही एकमात्र विधि है जिससे मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप आत्मा को जान सकता है तथा सभी में एक ही आत्मा के दर्शन का सकता है। व्यक्ति-व्यक्ति की आत्मा की भिन्नता अज्ञान का ही फल है। सर्वत्र एक ही आत्मा के दर्शन करना ही ज्ञान है।
दुःख जीवन का अन्तिम सत्य नहीं है, मिथ्या धारणा मात्र है, जो अज्ञानवश उत्पन्न होती है। ज्ञान की प्राप्ति पर सभी दुःखों का अन्त होकर परमानन्द का बोध होता है क्योंकि आत्मा स्वयं आनन्द स्वरुप है।
Author: Nand Lal Dashora
Publisher: Randhir Prakashan
ISBN-13: 9788193949122
Language: Hindi
Binding: Hardback
Product Edition: 2019
No. Of Pages: 346
Country of Origin: India
International Shipping: No
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