Description
तंत्र के तीन पक्ष हैं आध्यात्मिक पक्ष, दार्शनिक पक्ष और क्रिया पक्ष और ये तीनों पक्ष योग पर आश्रित है। योग का आश्रय लेकर प्रथम दोनों पक्ष का गहन अध्ययन और चिन्तन-मनन करने के पश्चात् ही क्रिया पक्ष को स्वीकार करना चाहिए। तभी तांत्रिक साधना उपासना आदि में पूर्ण सफलता सम्भव है अन्यथा नहीं। अपने शोध एवं अन्वेषण काल में उपर्युक्त तीनों पक्षों पर विशेष रूप से ध्यान रखते हुए योग और तंत्र में निहित तिमिराच्छन्न गूढ़ गोपनीय सत्यों से परिचित होने के लिए अनेक कठिन यात्राओं के अतिरिक्त हिमालय और तिब्बत की भी जीवन-मरण दायिनी हिमयात्रा की मैंने। कहने की आवश्यकता नहीं इसी कल्पनातीत अवस्था में मेरी भेंट स्वामी अखिलेश्वरानन्द से हुई। यदि विचारपूर्वक देखा जाये तो वे अपने आप में एक अति रहस्यमय सन्यासी थे, अपने तीन जन्मों के अविश्वसनीय कथा प्रसंग के अन्तर्गत जिन योग तंत्र परक विषयों को व्यक्त किया है अपने अनुभवों के आधार पर वे निश्चय ही अपने आप में महत्त्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक है और इसमें भी संदेह नहीं कि स्वामीजी की अपनी जो कथा है वह भी अविश्वसनीय होते हुए भी विश्वसनीय और अति रोचक है। आशा है पाठकों के लिए;वह रहस्यमय सन्यासी; उपादेय एवं संग्रहणीय सिद्ध होगा इसमें सन्देह नहीं। -अरुण कुमार शर्मा
Author: : Arun Kumar Sharma
Publisher: ASTHA PRAKASHNA
ISBN-13: 9789384172107
Language: HINDI
Binding: PAPER BACK
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 335
Country of Origin: INDIA
International Shipping: Yes
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