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Yog Aur Yogasan by Swami Akshaya Atmanand (9789351868170) Prabhat Paperbacks

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Description

महर्षि पतंजलि ने एक सूत्र दिया है—‘योगश्चित्तः वृत्ति निरोधः’। इस सूत्र का अर्थ है—‘योग वह है, जो देह और चित्त की खींच-तान के बीच, मानव को अनेक जन्मों तक भी आत्मदर्शन से वंचित रहने से बचाता है। चित्तवृत्तियों का निरोध दमन से नहीं, उसे जानकर उत्पन्न ही न होने देना है।’ ‘योग और योगासन’ पुस्तक में ‘स्वास्थ्य’ की पूर्ण परिभाषा दी गई है। स्वास्थ्य की दासता से मुक्त होकर मानवमात्र को उसका ‘स्वामी’ बनने के लिए राजमार्ग प्रदान किया गया है। ‘स्वास्थ्य’ क्या है? ‘स्वस्थ’ किसे कहते हैं? मृत्यु जिसे छीन ले, मृत्यु के बाद जो कुछ हमसे छूट जाए वह सब ‘पर’ है, पराया है। मृत्यु भी जिसे न छीन पाए सिर्फ वही ‘स्व’ है, अपना है। इस ‘स्व’ में जो स्थित है वही ‘स्वस्थ’ है। कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है। यदि शरीर ही स्वस्थ नहीं होगा तो आत्मा का स्वस्थ रहना कहाँ संभव होगा। इस पुस्तक को पढ़कर निश्चय ही मन में ‘जीवेम शरदः शतम्’ की भावना जाग्रत होती है। प्रस्तुत पुस्तक उनके लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है जो दवाओं से तंग आ चुके हैं और स्वस्थ व सबल शरीर के साथ जीना चाहते हैं।.



Author: Swami Akshaya Atmanand
Publisher: Prabhat Paperbacks
ISBN-13: 9789351868170
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
Product Edition: 2019
No. Of Pages: 198
Country of Origin: India
International Shipping: No

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Weight 0.336 kg

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