Description
चार्वाक दर्शन के प्रवर्तक आचार्य बृहस्पति माने जाते हैं। इन्होंने संसार में इसका खूब प्रचार किया, सामान्य जन के लिए इस दर्शन के विचार बहुत ही शीघ्र समझ में आ जाता है अतः प्रारम्भ में इसका प्रचार बहुत शीघ्रता से हुआ होगा, इसलिए इसे लोकायत दर्शन भी कहा जाता है।
इसे नास्तिक दर्शन के अन्तर्गत रखा गया है।
बाद में इस दर्शन का बहुत ही खंडन भी हुआ। इस दर्शन के अनुसार शरीर ही आत्मा है,कोई पुनर्जन्म नहीं होता है। कोई परमात्मा नहीं है। इसलिए जो शरीर मिला है इसको अच्छे से बनाओ,खूब अच्छे से खाओ, पीओ और मौज से रहो। इनका सिद्धान्त है –
Author: Acharya Anand Jha
Publisher: U.P. Hindi Sansthan Lucknow
ISBN-13: 9788196000547
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
Product Edition: 2023
No. Of Pages: 425
Country of Origin: India
International Shipping: Yes
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