Description
21वीं सदी में आॢथक परिवेश बड़ी तेजी से परिवॢतत हो रहा है। आज की तथाकथित मंदी जो पूरे वैश्विक सन्दर्भ को आन्दोलित करने जा रही है, हमारे भारतीय विश्वविद्यालयों तथा विद्यालयों में कार्यरत अर्थशास्त्र विषय के शिक्षकों से एक विशेष एवं अहम् भूमिका की अपेक्षा रखती है। इस परिप्रेक्ष्य में अर्थशास्त्र शिक्षण की विधियों में नवीनतम युक्तियों का अनुप्रयोग नितान्त अपरिहार्य बन गया है। यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि उक्त क्रम में अर्थशास्त्र विषय की अध्येय विषय-वस्तु में नया स्वरूप एवं आयाम जोडऩे हेतु शिक्षकों एवं शिक्षाशास्त्र (पेडागॉजी) के विद्वानों को आवश्यक पहल करनी होगी जिससे इस विषय के स?यक् शिक्षण द्वारा नवीन अन्तर्दृष्टि, सूझबूझ एवं प्रवीणताओं को विकसित करने में मदद मिल सके। प्रस्तुत ग्रन्थ लेखक द्वारा पूर्व में प्रणीत प्रथम रचना के रूप में लोकप्रिय रहा है। इस नवीन एवं परिवॢधत संस्करण के अन्तर्गत विषय-वस्तु में परिवॢतत सन्दर्भों की अपेक्षानुसार नवीनता लायी गयी है जिससे शिक्षकों को इस विषय के प्रभावी शिक्षण की व्यवस्था गठित करने में उचित दिशा निर्देश प्राप्त हो सके। पूरी पुस्तक में संरचनात्मक परिवर्तन लाने के साथ अध्यायों के संगठन एवं उनकी गुणवत्ता की दृष्टि से मूल रचना की प्रकृति यथावत् रखी गयी है जिससे पाठ्य-वस्तु एवं उभरते नूतन मुद्दों को वैज्ञानिक वस्तुनिष्ठता के साथ विश्लेषित किया जा सके।
Author: Dr. Kamtaprasad Pandey, Dr. Jai Prakash Srivastava
Publisher: Dr. Kamtaprasad Pandey, Dr. Jai Prakash Srivastava
ISBN-13: 9.78817E+12
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
No. Of Pages: 200
Country of Origin: India
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