Description
अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह में, जिसे लोकप्रिय रूप से काला पानी के नाम से जाना जाता है, 572 द्वीप हैं और उनमें से केवल 36 बसे हुए हैं। उत्तम सुंदरता के इन द्वीपों का प्रारंभिक इतिहास रहस्य में डूबा हुआ है। 18वीं शताब्दी के करीब इनपर ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कब्जा कर लिया गया था। 1857 के बाद अंग्रेजों ने उनका उपयोग दंड-बस्ती के लिए किया। कारावासियों को आजीवन कारावास की सजा के लिए सेल्युलर जेल में रखा गया।
23 मार्च, 1942 के वास्तविक कब्जे से एक दशक पूर्व ही जापानियों ने द्वीपों पर कब्जे की पूरी तैयारी कर ली थी। उन्होंने द्वीपवासियों के मन में स्वतंत्रता की नई आशाएँ और इच्छाएँ जगाईं। शीघ्र ही द्वीपवासी कुछ कट्टर और भयावह जासूसी के मामलों की निराधार याचिका पर आतंक की चपेट में आ गए।
जापानियों ने सहयोगी सूचनाओं की आपूर्ति में स्थानीय लोगों पर संदेह करना आरंभ कर दिया। वे जासूसी के वास्तविक स्रोतों का पता लगाने में असफल रहे, जो मुख्य रूप से मेजर मैकार्थी के आदेश के तहत थे। अगस्त 1945 तक लोगों की मौन पीड़ा की प्रबलता जारी रही तथा नरसंहार बढ़ने लगे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यात्रा भी एक अनंतिम भारत सरकार स्थापित करने और अत्याचारों और यातनाओं की जाँच करने में विफल रही।
परमाणु हमलों ने जापान को उसके घुटनों पर ला दिया और 9 अक्तूबर, 1945 को पोर्ट ब्लेयर में समर्पण के साधन पर हस्ताक्षर किए गए। युद्ध-अपराध अदालतों के परिणामस्वरूप, 16 अभियुक्तों में से 6 को सिंगापुर में मृत्युदंड दिया गया और बाकी को 7 से 25 साल तक के लिए सजा सुनाई गई। द्वीप अब एक केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का आनंद लेते हैं।
Author: S.K. Narang
Publisher: Prabhat Paperbacks
ISBN-13: 9789355212320
Language: Hindi
Binding: Paperbacks
Country of Origin: India
International Shipping: No
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